Jaiv Vividhta Kya Hai? | जैव विविधता किसे कहते हैं ? | प्रकार एवं महत्त्व
इस पृथ्वी पर बहुत सारे प्रकार की विविधताएं पाई जाती है, उन्हें विविधताओं में से आज हम जैव विविधता की बात करने वाले हैं। आपने अपने आसपास बहुत प्रकार के पशु पक्षियों को देखा होगा तथा कुछ ना कुछ जानकारी आप उनके बारे में अवश्य रखते होंगे। हमारी पृथ्वी इन्हीं जीव जंतुओं और पक्षियों के लिए एक घर की तरह है। और इस पृथ्वी रुपी घर में विभिन्न प्रकार के जीव – जंतुओं, पक्षी, कीड़े मकोड़े, आदि पाए जाते हैं। हम अपने आज के इस लेख Jaiv Vividhta Kya Hai में जैव विविधता के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
कुछ मुख्य प्रश्न जैसे की Jaiv Vividhata Sanrakshan, Jaiv Vividhta Ke Prakar, Biodiversity Kya Hai, Jaiv Vividhata Kya Hai, जैव विविधता का संरक्षण, जैव विविधता क्या है (Jaiv Vividhta Kya Hai) उदाहरण सहित समझाइए, जैव विविधता प्रकार, जैव विविधता के प्रमुख कारण, जैव विविधता के प्रकार एवं महत्व, जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या है, जैव विविधता का महत्व, जैव विविधता का अर्थ एवं परिभाषा, आदि के बारें में विस्तार से जानेंगे।
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जैव विविधता क्या है? | Biodiversity in Hindi
Jaiv Vividhta Kya Hai: हमारी पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं और यह जीव जंतुओं में विभिन्न प्रकार के अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। किसी निश्चित स्थान पर पाए जाने वाले कुल जीव-जंतुओं की संख्या तथा उन में कितनी भिन्नता है यह सब हम जैव विविधता के अंतर्गत पड़ते हैं। पेड़ पौधे भी इसका एक अभिन्न अंग है क्योंकि पेड़ पौधों में भी विभिन्न प्रकार की विविधताएं पाई जाती हैं।
जैव विविधता शब्द की उत्पत्ति सर्वप्रथम 1985 में हुई थी। रियो डी जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन, जो की सन् 1992 में आयोजित हुआ था, में जैव विविधता की परिभाषाओं का उल्लेख किया गया। जैव विविधता की परिभाषा इस प्रकार दी गई है, “जैव विविधता, स्थलीय, समुद्री और रेगिस्तानी पारिस्थितिक तंत्र सहित विभिन्न स्रोतों से जीवित जीवों के बीच भिन्नता है, और पारिस्थितिक परिसर जिनमें से वे एक हिस्सा हैं।”
जैव विविधता को कितने प्रकार में बांटा गया है?
चलिए हम आपको अपने इस लेख Jaiv Vividhta Kya Hai के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि जैव विविधता को अध्ययन के हिसाब से सरल बनाने के लिए कितने प्रकारों में बांटा गया है। तो जैव विविधता को निम्नलिखित तीन प्रकारों में बांटा गया है –
1. अनुवांशिक जैव विविधता (Genetic Diversity)
जब किसी एक ही प्रजाति के जीवो के जीन में अंतर या परिवर्तन हो जाता है तो ऐसे अनुवांशिक विविधता कहते हैं। इसका उदाहरण हम सभी मनुष्य भी हैं। अनुवांशिक संसाधनों के बीच विभिन्नताओं को अनुवांशिकता विविधताओं के द्वारा संदर्भित किया जाता है। किसी जाति विशेष का व्यक्ति अपने अनुवांशिक कोड में एक दूसरे से भिन्न होता है इसी कारण ही हर इंसान एक दूसरे से अलग दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त चावल गेहूं और मक्का तथा जो एक ही प्रजाति में होने के बाबजूद भी विभिन्न प्रकार की किस्म होती है।
2. प्रजातीय जैव विविधता (Species Diversity)
किसी विशेष स्थान पर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में जो विविधता पाई जाती है उसे प्रजाति विविधता कहते हैं। इस प्रकार की जैव विविधता सबसे बेसिक लेवल की व्यवस्था होती है। इस प्रकार की जैव विविधता में पौधों के साथ-साथ सूक्ष्मजीवों को भी शामिल कर लिया जाता है।
3. पारिस्थितिकी जैव विविधता (Ecosystem Diversity)
सजीव और निर्जीव दोनों प्रकार के संसाधन पारिस्थितिकी जैव विविधता में पाए जाते हैं। तथा दोनों का एक-दूसरे के साथ समन्वय स्थापित होता है। इस प्रकार की जैव विविधता में हमें खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल से संबंधित पेड़ पौधों और जानवरों के बारे में भिन्नताओ को दर्शाया जाता है। किसी एक क्षेत्र में विभिन्न पारिस्थितिकी सिस्टम के बीच इस प्रकार की व्यवस्था देखने को मिलती है जैसे कि रेगिस्तान, मैनग्रोव, वर्षावन आदि में व्यवस्था में पारिस्थितिकी व्यवस्था को शामिल किया गया है।
जैव विविधता का महत्व | Importance Of Biodiversity
हमारी पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए जैव विविधता का होना बहुत ही आवश्यक है। जैव विविधता के कुछ महत्वपूर्ण महत्व अपने लेख Jaiv Vividhta Kya Hai के अंतर्गत बताए हैं :-
पारिस्थितिकी स्थिरता: प्रत्येक प्रजाति की पर्यावरण में बहुत मुख्या भूमिका होती है। जीव जंतु ऊर्जा को इस्तेमाल करते हैं और उसे संगृहीत करते हैं। पारिस्थितिक तंत्र उन सभी कार्यों या गतिविधियों का समर्थन करता है जिनके अभाव में मानव जीवन की कल्पना नहीं है अर्थात वे जीवित नहीं रह सकते। जिस पारिस्थितिक तंत्र में ज्यादा विविधताएं पायी जाती है, उसमे ऊर्जा उत्पादन दर अधिक होती है।
आर्थिक महत्व: आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जैव विविधता बहुत अच्छी भूमिका निभाती है। विभिन्न प्रकार के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और दवाइयां तथा भोजन जैव विविधता से ही संभव है। क्योंकि हमें जैव विविधता से ही विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधन प्राप्त होते हैं जैसे की फसलें, मत्स्य पालन और वन्य जीव भोजन आदि। इसके अतिरिक्त बनो से हमे विभिन्न प्रकार की लकड़ियां, इत्र एल, रवर, रेजिन आदि जैसे जरूरी सामान प्राप्त होते हैं। अतः जैव विविधता आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी मदद करती है।
नैतिक महत्व: पृथ्वी पर कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं सभी को जीने का अधिकार है। मनुष्य को अपने हिसाब से इन प्रजातियों को खत्म करने का बिल्कुल भी अधिकार नहीं है। जैव विविधता में हमारी पुरानी संस्कृति और सामाजिक भावनाएं छुपी हैं। इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम इस जैव विविधता को बनाए रखें और उसकी सुरक्षा करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न – जैव विविधता किसे कहते हैं?
उत्तर – जैव विविधता किसी एक स्थान विशेषया या क्षेत्र में उपस्तिथ भिन्न भिन्न प्रकार की प्रजातियों और इन प्रजातियों के मध्य पारिस्थितिक तंत्र की विविधता है।
प्रश्न – जैव विविधता कितने प्रकार की होती है?
उत्तर – जैव विविधता को निम्नलिखित तीन प्रकार की विविधताओं में बांटा गया है। जो इस प्रकार हैं – अनुवांशिक जैव विविधता, पारिस्थितिकी जैव विविधता, प्रजातीय जैव विविधता।
प्रश्न – भारत में कितने जैव विविधता हॉटस्पॉट है?
उत्तर – भारत में जैव विविधता वाले कुल हॉटस्पॉट की संख्या 4 हैं – , हिमालय, पश्चिमी घाट, भारत-बर्मा क्षेत्र, और सुंदलैंड क्षेत्र।
प्रश्न – जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या है?
उत्तर – जैव विविधता के तीन विभिन्न स्तर हैं: (1) आनुवांशिक विविधता, (2) स्पीशीज विविधता तथा (3) पारितंत्र की विविधता
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निष्कर्ष
दोस्तों हमने अपने आज के इस लेख Jaiv Vividhta Kya Hai में जैव विविधता से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है जो कक्षा 9 से लेकर कक्षा 12 तक बोर्ड परीक्षाओं में जरूर पूछा जाता है। यदि आपको हमारा यह लेख Jaiv Vividhta Kya Hai पसंद आया हो तो आप इसे अन्य दोस्तों में भी शेयर कर सकते हैं ताकि उनको भी जैव विविधता के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाए। बहुत जल्द हम इसी वेबसाइट पर आपसे मुलाकात करेंगे एक नए लेख के साथ। तब तक के लिए नमस्कार!