जंतु विज्ञान किसे कहते हैं? शाखाएँ और महत्वपूर्ण तथ्य
नमस्कार दोस्तों! आज हम आपके लिए जीव विज्ञान से संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण लेख जंतु विज्ञान किसे कहते हैं लेकर आए हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको यह समझाने का प्रयास करेंगे कि जंतु किसे कहते हैं और जंतु विज्ञान के जनक कौन हैं। हम अपनी इस वेबसाइट पर जीव विज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रकार के लेखों को आपके समक्ष लाने का प्रयास करते रहते हैं जिससे कि आप जीव विज्ञान के बारे में अच्छा ज्ञान प्राप्त कर पाए।
आज हम कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों की चर्चा करेंगे जैसे कि जंतु विज्ञान किसे कहते हैं, जंतु विज्ञान का जनक कौन है, जंतु विज्ञान की कितनी शाखाएं हैं, father of zoology किसे कहा जाता, एवं जूलॉजी का वैज्ञानिक नाम क्या है। यह ऐसे कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न है जिन को लेकर लोग काफी संदेह में रहते हैं तो आपके इन प्रश्नों का उत्तर करने के लिए हम आपके लिए लेकर आए हैं तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह महत्वपूर्ण लेख जंतु विज्ञान किसे कहते हैं।
जंतु विज्ञान किसे कहते हैं?
जीव विज्ञान को विभिन्न शाखाओं में बांटा गया है। जंतु विज्ञान (Zoology), जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत हम सभी जंतुओं और उनके जीवन से जुड़े सारे घटनाक्रम जैसे कि जीवो में होने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाएं स्वसन पाचन प्रजनन तथा इन जंतुओं के वर्गीकरण का अध्ययन करते हैं। अर्थात यदि हम साधारण भाषा में जंतु विज्ञान को परिभाषित करें तो यह कहा जा सकता है की जंतु विज्ञान के अंतर्गत जंतुओं के संपूर्ण जीवन क्रम को एवं उनसे संबंधित घटनाओं को अध्ययन किया जाता है। जंतु विज्ञान को प्राणी विज्ञान के नाम से भी जाना जाता है।
जंतु विज्ञान के महत्व बताइए
यूं तो जंतु विज्ञान के महत्व बहुत सारे हैं और मनुष्यों के लिए इसका अध्ययन करना उतना ही आवश्यक हो जाता है, क्योंकि हमारे आसपास विभिन्न प्रकार के जंतु रहते हैं जिनके बारे में हमें अवश्य ही पता होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे आसपास विचरण कर रहे जंतु किसी ना किसी तरह से हमारे काम अवश्य आते हैं।
जंतु विज्ञान के अध्ययन से विभिन्न प्रकार की बीमारियों तथा रोगों की औषधियां बनाने में सहायता मिली है तथा अनेक प्रकार के शोध भी संभव हो सके हैं। महान वैज्ञानिक और दार्शनिक अरस्तु ने बहुत समय पहले जंतुओं पर एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम जंतु इतिहास (Historia animalium) था। इस पुस्तक में इन्होंने 500 जंतुओं के बारे में विस्तार से बताया था इसलिए जंतु विज्ञान का जनक अरस्तु को कहा जाता है।
जंतु विज्ञान का अध्ययन मनुष्य के द्वारा कई 100 वर्षों से किया जा रहा है और यह भविष्य में लगातार जारी रहेगा क्योंकि जंतुओं से मनुष्य को विभिन्न प्रकार की वस्तुएं और संसाधन प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए भेड़ों से मनुष्यों को ऊनी वस्त्र प्राप्त होते हैं और घोड़े गधे और बैल आदि से यातायात के साधन तैयार होते हैं।
ऐसा नहीं है कि सभी जंतु मनुष्य के लिए लाभदायक ही हो, कुछ जंतु मनुष्य के लिए हानिकारक भी साबित होते हैं जो कि अधिकतर जंगली जंतु होते हैं और जो सिर्फ अपने भोजन के लिए मांस पर निर्भर रहते हैं।
जंतु विज्ञान कितनी शाखाओं में विभाजित किया गया है?
जिस हिसाब से खोजें बढ़ती जा रही हैं उसी प्रकार से जंतु विज्ञान की शाखाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है। परंतु हम यहां पर कुछ महत्वपूर्ण जंतु विज्ञान की शाखाओं का उल्लेख करेंगे जिससे कि आपको उनके बारे में एक अच्छी जानकारी प्राप्त हो सके –
- वर्गीकरण विज्ञान (टैक्सोनोमि – Taxonomy)
- आनुवांशिक विज्ञान (जेनेटिक्स – Genetics)
- जीवाश्म विज्ञान (प्लेनटॉलोजी – Paleontology)
- मनोविज्ञान (साइकोलॉजी – Psychology)
- आकारिकी (मोर्फोलॉजी – Morphology)
- कोशिका विज्ञान (Cell biology)
- विकृति विज्ञान (पैथोलॉजी – Pathology)
- भ्रूण विज्ञान (एम्ब्र्योलॉजी – Embryology)
- सूक्ष्मऊतक विज्ञान (हिस्टोलॉजी – Histology)
- पछी विज्ञान (ओर्निथोलोजी – Ornithology)
- जीव विकास (एवोलूशन – Evolution)
- पारिस्थितिकी (इकोलॉजी – Ecology)
जंतु विज्ञान के कुछ महत्वपूर्ण खोजें
- सन् 1628 में महान वैज्ञानिक विलियम हार्वे ने रुधिर परिसंचरण तंत्र एवं भ्रूण के प्रयोगात्मक विषयों का अध्ययन किया।
- सन् 1665 मेंकोशिका की खोज का श्रेय वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक को जाता है उन्होंने सर्वप्रथम मृतक पादप कोशिका देखी थी।
- जीव विकास से संबंधित मत तथा फिलासफी जूलॉजी लिखने वाले वैज्ञानिक का नाम लैमार्क था।
- सन् 1691 में वैज्ञानिक जॉन रे ने अपनी गणना के अनुसार यह अनुमान लगाया कि पृथ्वी पर लगभग 20,000 से अधिक कीड़ों की प्रजातियां हैं परंतु आधुनिक खोजों के बाद यह आंकड़ा 10 लाख तक पहुंच चुका है।
शरीर रचना विज्ञान से आप क्या समझते हैं?
जंतु विज्ञान के अंतर्गत आने वाली यह एक ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत हम शरीर के आंतरिक अंगों का अध्ययन करते हैं। इसे अंग्रेजी में एनाटॉमी कहा जाता है। इस प्रकार के अध्ययन करने के लिए किसी जंतु के आंतरिक अंगों का अध्ययन करके शोध किए जाते हैं। उदाहरण के लिए मेंढक के हृदय के बारे में अध्ययन करना शरीर रचना विज्ञान के अंतर्गत ही आता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न – जंतु विज्ञान का जनक कौन है ?
उत्तर – महान दार्शनिक अरस्तु को जंतु विज्ञान का जनक कहा जाता है।
प्रश्न – जंतु विज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर – जंतु विज्ञान के अंतर्गत जंतुओं के संपूर्ण जीवन क्रम को एवं उनसे संबंधित घटनाओं को अध्ययन किया जाता है।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस लेख जंतु विज्ञान किसे कहते हैं मैं आपको जंतु विज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी दी। एवं जंतु विज्ञान को कितने अन्य शाखाओं में विभाजित किया है इसके बारे में भी आपको संक्षेप में बताने का प्रयास किया। आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख (जंतु विज्ञान किसे कहते हैं) पसंद आया होगा।
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